Not known Factual Statements About Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana
लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।
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Abhishek Dhruw Namaskar dosto! I'm The author of this weblog, I have wonderful expertise on Yoga and Meditation, I wish to distribute positivity by my terms.
लोगों के साथ अच्छे सम्बन्ध रहेंगे और कुछ अच्छे दोस्त होंगे तो आपके मन में हमेशा ये बात रहेगी की आपका साथ देने वाले भी कई लोग हैं.
आप जितना डर से बचते हैं, वो उतना ही बढ़ता है
हम यहाँ आपको एक उदहारण देते हैं जिससे ज्यादातर लोग तो समझ ही जायेंगे की अपने डर को कैसे दूर भगाए.
हो सकता है किसी शारीरिक या मानसिक रोग की वजह से आपके साथ ऐसा हो रहा हो.
सभी इंसानों में उनके विचार, निर्णय और आदतें छ: मानवीय जरूरतों से प्रभावित रहतीं है। हममें से बहुतों के लिए निश्चित चीजों का होना एक जरूरत है। जब कभी हमारे साथ ऐसा कुछ होने लग जाता है जिसके विषय में हमने कभी सोचा नहीं तो हमें डर लगने लगता है, कुछ अनिश्चित होने का डर ही हमें हमारे कंफर्ट जोन से बाहर check here निकलने नहीं देता। जिससे हम कभी अपने डर के आगे देख ही नहीं पाते और एक ही जगह फंसे रहते हैं।
यकीनन इसका जवाब हमेशा नहीं होगा, जब इसका उत्तर नहीं है यानी आपके साथ ऐसा कुछ हुआ ही नहीं तो फिर डरने का कोई सवाल ही पैदा नहीं होता
कई बार, हम लोग किसी स्थिति को खुद पर इतना हावी कर लेते हैं कि इसके लिए हमारे अंदर एक डर डेवलप हो जाता है जिसके कारण हम इनसिक्योर हो जाते हैं और इस डर से लड़ने की अपनी क्षमता को खो देते हैं। हम में से हर इंसान को किसी ना किसी चीज का डर होता है। किसी के लिए यह डर किसी को खोने का हो सकता है, या किसी काम को सक्सेसफुल तरीके से ना करने का, या फिर किसी के लिए यह डर अकेले रहने का हो सकता है।
उम्मीद है कोशिश करने से हर मसले का हल निकल ही जाता है.
किसी भी दर्दनाक घटना पर चिंतन करें: यदि आप एक कार दुर्घटना का शिकार हुए हैं, तो कार चलाना आपको डरा सकता है, या शायद आप ड्राइविंग से बचना शुरू कर देते हैं। या शायद अपने घर आते समय आपके साथ लूट की घटना हुई और इसलिए वापिस घर तक वॉक करके आने का विचार आपको घबराहट देता है। ऐसे कई तरीके हैं जिनसे भय विकसित होता है, और किसी पिछले दर्दनाक पल को भूलना स्वाभाविक है।
जब हम किसी विपरीत परिस्थिति में फंस होते हैं या डर लगने वाली स्थिति होती है तो मन तरह-तरह के बहाने बनाने लगता हैं – मेरे साथ ही ऐसा क्यों हो रहा है? मेरे पास ये नहीं है, वो नहीं हैं, मैं तो अकेला हूं!
सामाजिक प्रभाव सामाजिक प्रभाव – परिचय